शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

दिवाली वही, दिया नहीं...!

नकली घी, नकली मावा,नकली तेल, नकली दिया-नकली बाती,
नकली पंडित-नकली पुजारी, नकली दान-नकली भगवान!
नकली पैसा, नकली पुलिस,नकली पत्रकार-नकली समाज!
नकली दोस्ती-नकली दुश्मनी,नकली रिश्ते-नकली प्यार, नकली घर वार, नकली गुरु-नकली चेले, फिर दिवाली को कैसे असली मान लूँ.........खुद के बारे में खुद कैसे कहूं...?
कारण एक मात्र है-ना अब वो देवी रही, ना अब वो कराह है.....

2 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

असली का तो अता पता ही नहीं !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

Udan Tashtari ने कहा…

मगर हमारी शुभकामना असली है:

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'