बीते दिनों लाहौर में हुए आतंकी कुकृत्यों का असर पाकिस्तान पर ही पड़ा है, दरअसल पाकिस्तान के सामने एक बहुत बड़ा संकट यह है की वहां की जितनी भी सरकारें हुयी है वो पाक को अपना देश कम , किराये का मकान अधिक समझती रही है.आज तक अधिकांशतः यह देखा गया है की जो सरकारें सत्ता से गई उनके कर्ता धर्ता पाक से भी चले जाते हैं.ऐसे में वे पूर्ण देश भक्ति दिखाने की सोंचने के वजाए अपनी स्थिति मजबूत करने में आधिक लगे रहते हैं.वहां के सैनिक पाक को अपना वतन समझने के वजाए एक भोग की जगह समझ के उसका भोग कर रहे हैं.यही वजह है की कभी खुद देश के सत्ता पर काबिज हो जाना तो कभी आतंकी संगठनों की सहयोग से पड़ोसी मुल्को को तबाह करते रहना ही उनका कार्य रह गया है.पाक राजनीतिग्य देश सेवा की जगह अपने को बचाए व बनाये रखने में व्यस्त हैं, तो पाक सेना देश रक्षा की जगह पड़ोसियों की नींद हराम करने में!ऐसे में पाक की विधि व्यवस्था को संभाले कौन?
यह प्रशन केवल पाक ही नही अपितु पाक प्रभावित सभी देशो के लिए भी चिंता का होना चाहिए.जहाँ पर लोकतंत्र नाम की कोई चीज न हो, जहाँ राष्ट्रिय सुरक्षा आतंकी संगठनो के भरोसे हो,वहां इस तरह की घटनाएँ आम ही होंगी।
समस्या आतंकी कम है पाक के पाकी ही पाक को नापाक करने में भिडे हैं.पाकिस्तान की स्थिति जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली हो गई है.जिस तरफ अलकायदा का गढ़ है उस क्षेत्र में तालिबान हावी है,जहाँ लस्कर मजबूत है वहां लस्कर के आतंकी राज काज संभल रहे हैं,जहा तहरीक-ऐ-तालिबान मजबूत है वहा की सारी व्यवस्था उनके हाथ है.इसका एक मात्र वजह है पाकिस्तान के अन्दर लोकतान्त्रिक सरकार का अभाव एवं स्वार्थ-परक सैन्य व्यवस्था!पाकिस्तान में लगातार घट रहे राजनितिक घटनाओं पर हम अगर गौर करें तो इस बात से इंकार नही किया जा सकता है की आने वाले दिनों में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कियानी सत्ता प्रमुख बन जायेंगे।
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