गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

बिहार में नही है बहार किसी भी दल या गठबंधन की

१५वीं लोकसभा चुनाव में कहना मुश्किल है की कौन सा दल या गठबंधन बिहार का नेतृत्व कर पायेगा। पिछले बार तो लालू जी की पार्टी इसलिए आगई थी की वे वहां के राजा थे ,उनके हालात अच्छे थे,परन्तु इसबार पिछले प्रदर्शन को दुहरा पाना बड़ी मुश्किल है। कारण स्पष्ट है उनके कई दिग्गज विदा ले चुके है साधू यादव, रमई राम, कैप्टेन जय नारायण निषाद ये सभी तो बागी होही गए साथ ही विभिन्न दलों में जहाँ छावं दिखा वहा जाकर लालू विरोधी मुहीम को हवा दे रहे हैं। पिछली बार सैयद शहाबुद्दीन ने भी खूब गुल खिलाये थे इस बार कोर्ट ने रोक दिया, बाहर होते तो कुछ करते भी ।

रही बात रामविलास जी के पार्टी की तो वे पिछले बार से एक आध सीटें ज्यादा जरूर लायेंगे क्योंकि बड़ी चतुराई से राजद के कमजोरी और कांग्रेस की विवशता का लाभ लेते हुए वे लालू जी के साथ santh गांठ करने में सफल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने जो अदम्य साहस का परिचय देते हुए बिहार के सभी सीटों से चुनाव लड़ने की घोषणा की है वह इन दोनों दलों के लिए काफी चिंता का विषय है। यह ठीक है की कांग्रेस इस बार भी उतनी ही सीटें ला पायेगी जीतनी पिछली बार लायी थी परन्तु एक बड़ा लाभ जो कांग्रेस को होने वाला है वह यह है की इसबार उसके बिहार में गतिविधि बढ़ेंगे , वोट प्रतिशत भी बढेगा, जो एक राष्ट्रीय पार्टी और बिहार दोनों ही के लिए जरूरी है। ज्ञात हो की कांग्रेस का बिहार में अस्सी के दशक में वोट प्रतिशत ५८ हुआ करता था जो पिछले बार घट कर ५ होगया था। इसके कार्यकर्त्ता भी शिथिल पड़ने लगे थे।खैर इन सभी बातों से वहां के सर्वमान्य नेता नितीश कुमार जी एवं शुशील मोदी जी को ज्यादा प्रसन्न नही होना चाहिए क्योंकि सत्ता में रहने का लाभ तो इन्हे मिलेगा जैसा आम तौर पर दलों को मिला करता है परन्तु जनता दल (यू) से भी कई दिग्गजों का पलायन हुआ है जो उनके पार्टी केलिए ठीक नही होगा। जदयू ने तो पूर्ण स्वस्थ जॉर्ज साहब को भी बीमार करार दे दिया, जबकि वे यह कहते कहते बीमार पड़ने लगे हैं की मै बिल्कूल स्वस्थ हूँ। दिग्विजय जी का एवं जॉर्ज सहित जग्गनाथ मिश्रा एवं नीतिश मिश्र की अनदेखी शायद जदयू को भाडी पड़ सकती है, आख़िर इनलोगों ने भी बगावती रूख अख्तियार कर लिया है। इसबार बीजेपी वालों की स्थिति सुधरेगी वजह है की उनमे बगावत कम हुए है लेकिन भइया कितनी सीटों पे?जो भी गुल खिलाना है वह नाच गा के १४ पे, इसबार सत्ता में साझीदार नही होते नितीश कुमार भी वही करने वाले थे जो लालू यादव ने कांग्रेस के साथ किया है। कुल मिला कर होने यही जा रहा है की एनडीए गठबंधन को सीटें पहले से अधिक आएँगी परन्तु वैसी स्थिति नही होगी जो पिछलीबार यूपीए की थी। निर्णय जनता के हाथ है की वो करने क्या जा रही है एक तरफ देश मध्यावधि चुनाव की ओर जा रहा है तो दूसरी ओर लगातार पांच वर्षों तक किंग मेकर दलों से ब्लैकमेल होने।

2 टिप्‍पणियां:

him ने कहा…

raajneeti mein ho gaye gathbandhan naapak, shabab luta umra bhar antim ghadi talaaq !

ने कहा…

wah jha g woting our dating dono ka intzam hai apke blag me duniya agr adhi nath ko nhi le rhi hai to ek bhool hai pakistan bnane ke bad