वर्तमान समय में जो राजनीतिक स्थिति है उसमे कोई भी दल चुनाव बाद सरकार बनाने की स्थिति में नजर नही आरही है ,जाहिर सी बात है सरकार गठबंधन की ही होगी। परन्तु हमे यह भी नही भूलना चाहिए की अगर कोई गठबंधन भी सरकार बनाने में असमर्थ रही तब क्या होगा ?
कुछ नही होगा वो ही होगा जो मंजूरे खुदा है , पब्लिक मुर्ख बन जायेगी, अप्रैल फूल हो जाएगा।यह अप्रिलफूल बड़ा खर्चीला होगा अरबों रुपए बह चुके होंगे फिर बहाने की बात की जायेगी एक दुसरे पे ठीकरा फोड़ा जावेगा। गरीबी और बढ़ जायेगी जनता वही जो सबकुछ जानकर भी कुछ न जानता की स्थिति में बैठी रहेगी। भाई होने तो यही जा रहा है, अब एक बार नजर दौडाइए -
एन.डी.ऐ जो है जिसके कर्ता धर्ता भाजपा वाले हैं वो अभी के स्थिति से मजबूत होगी यह तय है, लेकिन सरकार बनाने के लायक सीटें नही ला पायेगी यह भी तय है, ठीक उसीतरह यू .प.ऐ जिसके कर्ता धर्ता कांग्रेस वाले हैं का कई दलों के साथ santh गांठ करके वर्त्तमान सत्र तो पूरा हुआ पर आगे भी ऐसा वे कर पाए यह लगता नही है , देखिये संकटमोचन अमर की पार्टी से लेकर लालू रामविलास तक फूटक चुके हैं रहते भी तो कुछ खास कर नही पाते क्योंकि इसबार वो वाला रूतबा इनसब का है नही .अब बचा थर्ड फ्रंट भाई इसका तो पहले से ही तय लग रहा है की जितने के बाद विपक्ष में अलग अलग न बैठना पडे इसलिए पहले से ही योजना बनाके विपक्ष में बैठा जाए यह सोंच के यह गठबंधन बना है ऐसा लगता है। फिर ऐसे में कैसे न कहा जाए की यह अप्रैल फूल बनाने की यजना है.
1 टिप्पणी:
जनता तो अप्रेल क्या..हमेशा ही फूल बनी हुई है.
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