बुधवार, 20 मई 2009

बसंत गया तो क्या गम है,

लिच्ची मिली ये क्या कम है?

गर्मी आई उफ़ आह लायी

लिच्ची रानी सबको लुभाई।

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

मूंह मे पानी आ गया लीची देखकर. :)

Gyanendra Mishra ने कहा…

is bar nahi kha paya leechi.afsos hai muje.par muh me pani aa gaya.

singh jay ने कहा…

क्या खूब लिखा है झा जी मज़ा आ गया .........पंक्तियों को कलाम में बदलना तो कोई आप से सीखे.........

Manish Kumar ने कहा…

lichi hai lajwab
lekin ise lane wale aur bhi hain lajwab.