मंगलवार, 25 अगस्त 2009

भाजपा का विघटन देश के लिए चिंताजनक!

आज कल देश के प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के अन्दर चल रहे अंतर्कलह समूचे देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। एक मजबूत विपक्ष ही सत्ता पक्ष की ज्यादती को रोक सकता है। इस दृष्टि से अभी केवल भाजपा ही नहीं अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र के सामने यह खतरा उत्पन्न हो गया है की अब कौन...? जिस जिन्ना के जिन्न की चर्चा आज कल जोरों पर है , वह जिन्ना ख़ुद जिन्दा रहते हुए भारत को तबाह कर चुके हैं तो फिर भारतीय जनता पार्टी कौन सी बड़ी चीज़ है। इसमे कोई दो मत नहीं की जिन्ना १९१४ में गोखले जी के द्वारा राष्ट्र भक्त करार दिए गए थे जैसा की जसवंत सिंह जी ने अपने किताब में चर्चा की है, परन्तु १९४६ के जिन्ना को १९१४ के प्रमाणपत्र के आधार पर कैसे माफ़ किया जा सकता है? कल को जसवंत जी भारत के किसी खास तबका या क्षेत्र को लेकर अलग देश बनाने की बात करने लगें तो क्या उन्हें भारत का भविष्य मात्र इसलिए माफ़ कर देगा की जसवंत सिंह जी १९६७ तक भारतीय सेना में रहे हैं इसलिए वे देशभक्त थे, या फिर तब की घटना के समय उनकी भूमिका को लेकर जनमत बनेगा। ठीक वही बात जिन्ना के साथ लागु होती है। ये बात बिल्कुल ठीक है की लिखने पढने की आज़ादी सबको होनी चाहिए, परन्तु ये कैसी आज़ादी है की सरदार पटेल राष्ट्रद्रोही और कायदेआज़म जिन्ना देशभक्त लगने लगे। पूर्व में भारतीय सेना के अफसर और फिर भाजपा के शीर्ष नेता रहे किसी व्यक्ति के मन में जिन्ना प्रेम आ जाए तो यह किसी के गले नहीं उतरेगा। खैर यह तो विवाद की बात हुयी।
परन्तु इस चिंगारी से जो शोला भड़का वह नहीं भाजपा को और नहीं जसवंत सिंह जी को कहीं का छोड़ा। बात भाजपा के विघटन तक पर जा रही है, फिर शौरी जी वसुंधरा जी जैसे लोगों की एक लम्बी फेहरिस्त भी है हीं। दरअसल जिस एक मात्र घटना को लेकर खींचतान जारी है उससे भाजपा के अस्वीकार्यता की नीति भी साफ हो रही है। आख़िर इतना कठोर भी क्यूँ हो जाना की जिन्ना, पाकिस्तान की चर्चा आते हीं भाजपा के दामन पर छींटे पड़ने लगते हैं। भाजपा को आज अपने जिस आधार की चिंता सता रही है वह कहीं न कहीं अब तक मंथन न करने और समय के साथ बदलाव न लाने की वज़ह से हुआ है।समय की मांग और वक्त के तकाजे को हमेशा पुरा करते रहने से सामंजस्य ख़ुद बखुद बैठते जाता है जिससे कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ती है।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

चिंताजनक तो है कि एक मात्र विकल्प भी जाता रहे!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

देश के लिए तो नही अपितु भा0ज0पा0 के लिए जरूर चिन्ता की बात है।

drdhabhai ने कहा…

आपका ये जला हुआ रूतबा कुछ ज्यादा ही बङा दिख रहा है....क्या इसे सुछारा जा सकता है.

drdhabhai ने कहा…

जब भी कोई नेता अपने आप को विचार धारा से बङा बना लेता है तो ऐसा ही है...विचारधारा पर कुठारा घात जब शीर्ष से प्रारंभ होता है जैसा कि श्रीमान अडवाणी जी ने किया तो ये सब तो होना ही था.....पर चिंता न करें ऐसे कई झंझावातों से ये पार्टी बाहर निकली है

khandarbar ने कहा…

भाई तुम्हारें मानसिक दिवालिएपन के लिए कौन सा शख्स ज़िम्मेदार है...बताओ यह जम उसका हाथ काट लेगा...जम और आली की जय हो