रविवार, 6 सितंबर 2009

पेड़ के बिना उपर से उजाड़ दिखता है सबकुछ...


ऊपर से देखने में ज़मीन पर लगे पेड़ पौधे , दूर से जा रही रेल गाड़ी सभी चीज़ बिल्कुल छोटी लग रही थी। हरियाली की मनोहारी छटा देखते ही बन रही थी। अचानक मेरी नज़र एक बाज़ार की ओर जा कर टिक गई। वह वही बाज़ार था जिसको निचे से पार करके मैं ग्यारह सौ सीढ़ी ऊपर की पहाड़ी तक का सफर तय किया था। बाज़ार को देखते ही एक स्वाभविक सा दुःख हुआ। लगा की जो पेड़ पौधे अभी दिख रहे हैं । वे भी अब कुछ दिन के ही मेहमान हैं , क्योंकि ठीक बगल में नए मकानों का बनना बदस्तूर जारी था।और जिस ओर बस्तियां बस रही थी उधर पेड़ पौधे नदारद थे इसलिए उजार लग रहा था। सीधे कहें तो ऊपर से उस ओर देखने की इच्छा नही हो रही थी। मुझे ये भी लगा की मैं तो भाग्यशाली था जो आज आया और इतनी हरियाली देखा लेकिन मेरे से कुछेक साल बाद आने वाले लोग शायद ही ये मनोहारी छटा देख पायें। लेकिन एक बात और जो मुझे लगी वो यह थी की मेरे से पहले यहाँ आने वालों ने जो महसूस किया होगा निश्चित तौर पर मैं उससे वंचित रह जा रहा हूँ। यह नियति नही दुर्गति है जो मानव के स्वार्थ परक सोच के चलते हुई है। दरअसल पिछले दिनों एम.ए का परीक्षा परिणाम आने के बाद मुझे लगा की किसी मन्दिर में जाकर माता को धन्यवाद अर्पित कर आऊं। बस क्या था अगले ही दिन मेरी छुट्टी भी थी सो मैं डोंगरगढ़ में माता बमलेश्वरी के दर्शन को चला गया..वहीँ का वर्णन उतार रहा हूँ..माता के दिव्य स्वरुप के दर्शन के बाद प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता था। निचे आने पर एक दुकानदार से बात हो रही थी उसने कहा की छत्तीसगढ़ में जहाँ ६६ तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है वहीं डोंगरगढ़ और आसपास के इलाके में एक दिन भी ऐसा नही है जब बारिस नही होती हो। एक मात्र कारण था वह थी बची हुयी हरियाली। तब मुझे लगा की सरकार मछली खरीद कर खा रही है मछली पकड़ना या ख़ुद के तालाब की रक्षा करना या तो नही जानती या नही चाहती। केवल प्रकृती प्रदत चिजो की सुरक्षा ही करना था , या उजरे चमन को फिर से बसाने की बात करनी थी लेकिन यहां सूखा के समस्यायों की जड़ में गए बगैर उससे निपटने की बात हो रही है यह कब तक चलेगा । आज लगभग आधा देश सूखा की मार झेल रहा है कल पूरा देश झेलेगा तब क्या होगा ? मैया की कृपा तो सदा बनी ही रहती है लोग चाहे पेड़ के साथ अपना पर खुद काटते रहें..

3 टिप्‍पणियां:

Gaurav Pandey ने कहा…

bahut badiya...

Udan Tashtari ने कहा…

पर्यावरण जागृति की आवश्यक्ता है.

ने कहा…

kuch soch ke kahne walo ko kaha sunta hai ye jamana par ap lage rahana mai apke shabd kosh ki vyapkata se ati prabhavit hoo aj pahali baar aapka blog dekha its incredible jai mata di