बुधवार, 25 नवंबर 2009

कलम आज उनकी जय बोल...


एक साल पूरे हो गए शहादत के...भारत माता के अस्मिता के रक्षार्थ अपने जान की परवाह किए बगैर होटल ताज के पर हुए हमलों से निपटने के लिए...वे चल दिए बिना किसी परवाह के...पर उन्हें क्या पता था कि लोकतंत्र के ठेकेदार उनके शहादत पर सियासत कर बैठेंगे...आज उस हमले को नाकाम बनाने वाले, देश को एक बहुत बड़े सौदेबाज़ी से बचाने वाले देश भक्त जो आज भी देश की रक्षार्थ सोवामें हैं उनके दर्द को समझा जा सकता है...जब पता यह चलता है कि तब के सरकार के नुमाइंदे जो आज भी सरकार में आ गए हैं वे उस रोज इसलिए मात्र घर से बाहर नहीं निकल पाए थे क्यूंकि सबसे अधिक ख़तरा उनके हि जान को था...वे इसलिए जान बचा रहे थे कि अगली बार फिर सरकार बनेगी और शामिल होने के लिए जान को बचाए रखना अहम है...बात साफ है एक देशभक्त जो खुद की परवाह इसलिए नहीं किया क्यूंकि वह सोच रहा था कि देश रहेगा तभी हमारे रहने का कोई मतलब निकलता है...दूसरा वह था जो यह सोच रहा था कि देश तो मरता जीता रहता ही है...मैं न रहूंगा तो कैसे .....होगा? ये जैकेट चोर लोग खुद की हिफ़ाजत इसीलिए अधिक करते हैं क्योंकि इनके लिए जैकेट को ठिकाना लगाना बड़ा मुद्दा होता है...आज हमारे केंद्रिय गृहमंत्री शहीद करकरे के जैकेट चोरी के सवाल पर सॉरी-सॉरी कहते नहीं थक रहे हैं...चोर कौन है यह पता लगाना मुशिकल साबित हो रहा है। शहीद हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे को जवाब देने की हिम्मत तो इन जैकेट चोरों में है हि नहीं ये देश को क्या जवाब देंगे...काश जैकेट ख़रीदी में घपला नहीं हुआ होता तो आज एक साल बाद हमारे वे जांबाज़ बिना किसी खरोंच के ताज भी बचाते -लाज़ भी बचाते। एक साल बाद भी आज हम मात्र खुफ़िया अलर्ट जारी करते रहते हैं और मुंबई की जगह असम में धमाके हो जाते हैं....एनआईए के बनने के बाद भी सुरक्षा एजेंसीयों में समन्वय का आभाव नज़र आता है। हमें आज भी अमेरिका के एफबीआई के भरोसे अपनी सुरक्षा करनी पड़ रही है...आखिर भारत के सुरक्षा तंत्रों को कब विश्वसनिय बनाया जाएगा और लोग किस तारीख़ से खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे यह देश पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले के पहली बरसी के बाद भी अहम सवाल बना हुआ है। हमारे देश के शहीद जवानों की जयकारा आज पूरे देश में हो रही है और भविष्य हमेशा उनके शहादत के आगे नतमस्तक रहेगा लेकिन शहादत का असल लाभ तो तब मिलेगा जब हम सीना तान कर यह कहने की स्थिति में आ जाएं की आए जिस जिस की हिम्मत हो...।फिर किसकी मज़ाल है जो हमारी ओर आंख कड़ी करके देखे...
भारत माता के उन वीर सपूतों को शत-शत नमन जिनकी बदौलत हम आज चैन की सांस ले पा रहे है...

1 टिप्पणी:

Md Shadab ने कहा…

Bahut Badiya bhaiya aap likhna zari rakhe is ladi mein main aapke saath hoon