शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

ये बेलगाम महंगाई का भूत जो है....

बिजनेस पत्रकारिता से वास्ता रखने वाले हमारे साथी अरविंद मिश्रा जी ने देश की महंगाई पर अपनी चिंता जाहिर की है.....प्रस्तूत है उनके लेख...
महंगाई...बेलगाम महंगाई...आसमान छुती महंगाई और बेकाबू महंगाई...
जी हां महंगाई अब महंगाई नहीं रही...महंगाई बन गई है भूत....अरे भाई एक दो या दस नहीं महंगाई का आंकड़ा पहुंच गया है १९ के पास, क्योंकी इस भूत से डरता है हर आदमी। महंगाई के डर का शिकार हो रहा है...ग़रीब,मध्यम वर्ग...ग़रीब की थाली को अपने आगोश में ले लेने के बाद महंगाई का भूत पहूंच चुका है केंद्र सरकार के पास। यक़ीन नहीं होता तो अब हम आपको बताएंगे कि कैसे डर रही है सरकार...इस महंगाई के भूत से। दरअसल सुरसा की तरह मुंह फैलाए महंगाई का ख़ौफ़ इस क़दर सरकार को डरा रहा है कि वित्त मंत्री से ले कर देश के कृषि मंत्री सब हलकान हो रहे हैं। विपक्ष के हमलों से डरी सरकार अब महंगाई के लिए राज्यों को ज़िम्मेदार बता रही है। अपनी तरफ से किए गए सभी उपायों को फेल होता देख सरकार को अब कुछ नहीं सुझ रहा है। तभी तो वित्त मंत्री इन दिनों हर कॉंफ्रेंस में महंगाई के भूत का ज़िक्र करना नहीं भूलते। लेकिन महंगाई से निज़ात दिलाने के लिए प्रणब मुखर्जी, वित्तमंत्रालय की उपायों की नाकामी कम और राज्यों पर आरोप ज्यादा लगाते हैं। प्रणब दा के मुताबिक पीडीएस सिस्टम की लचर व्यवस्था महंगाई के लिए ज़िम्मेदार है। तो सवाल ये है कि लागातार कई सालों से बेलगाम महंगाई से निपटने के लिए क्या सरकार को अब पीडीएस की याद आई है? और उस पीडीएस की जिसके तहत केंद्र सरकार से मुहैया अनाज की दरें इतनी ज्यादा होती है कि राज्य सरकारें भी अब केंद्र सरकार से महंगा अनाज लेने से पीछे हट रही है। चलिए ये तो बात हुई प्रणब दा की....अब बात करते हैं कृषि के जगह क्रिकेट मंत्री भर बन कर रह गए शरद पवार साहब की.....अब यह सोंचना स्वभाविक है कि कृषि मंत्री कब बन गए क्रिकेट मंत्री?अरे भाई बात हि कुछ ऐसी है...दरअसल मंत्री महोदय को देश के कृषि कि कम और क्रिकेट कि ज्यादा रहती है...।तभी तो पवार साहब कभी देश की महंगाई के लिए मौसम में हो रहे बदलाव को अहम बताते हैं तो कभी महंगाई के ग्लोबल करार देते हैं। अरे जनाब ये महंगाई के भूत का असर है...जिसने मंत्रीयों की नींद हराम कर रखी है। आम जनता की सलाह यदि मानें तो सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगाने के बज़ाए महंगाई से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।
अरविंद मिश्रा

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