गुरुवार, 5 मार्च 2009

बसंत और निराला

अभी न होगा मेरा अन्त...

अभी -अभी ही तो आया है मेरे वन में मृदुल वसंत !

अभी न होगा मेरा अन्त ............

मेरे जीवन का यह है जब प्रथम चरण

इसमे कहाँ मृत्यु है ,जीवन ही जीवन

अभी पड़ा है आगे सारा यौवन .............

4 टिप्‍पणियां:

शोभा ने कहा…

अच्छा लिखा है।

Unknown ने कहा…

dada bahut acha likha hai apne vakai me pakiyo ne apne napak irade jahir kar diye hai ab bhi agar kuch nahi kiya gaya to inke hosle aur bhi buland ho jayene....

Sumit pandey ने कहा…

avi na hoga mera ant
avi to aya mere mridul van me basant...
acha he apka sushwagat

alok78 ने कहा…

wah jha sahab keep it up..............