सम्पूर्ण क्रांति के नायको को पेंशन दी जायेगी यह ख़बर जे.पी.आन्दोलन के कर्मवीरों के लिए खुश खबरी वाली है परन्तु जो आशंका जताई जा रही है की ग़लत सलत लोगों को जोड़ दिया जाएगा एवं सही में समर्पण किए हुए लोगो को खास लाभ नही मिल पायेगा वह जायज ही है। दरअसल होता यह है की जो वाकई सेनानी हैं वे किसी पुरस्कार या सम्मान के मोहताज नही होते। लेकिन जो लोग इस फेरे में ही रहते हैं की कहीं से कोई व्यवस्था लगे की कुछ आमदनी हो वे सब काफी खुश होगये होंगे।
खासकर सेनानी बनने के मामले में, तब तो आज कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जन्मे थे १९४७ में परन्तु स्वतंत्रता सेनानी की पेंशन ले रहे हैं इसलिए ध्यान देने की बात ये होगी की सेनानीयों की सूची ऐसी बने जिसमे जदयू -भाजपा के कार्यकर्त्ताओं को तबज्जो न दी जाए, यूँ तो जो लोग जेपी के साथ नेतृत्व सम्भाल रहे थे वे अपने जननी सेवा का पुरस्कार पा ही रहे हैं , वह चाहे कहीं के मुख्यमंत्री बनकर हो या मंत्रिमंडल से लेकर सामाजिक उत्तरदायित्व का मामला हो। परन्तु जो लोग सेना में शामिल थे,जिनकी चर्चा तक भी नही होती है वे लोग ही सफर करेंगे यदि ईमानदारी नही बरती गई तो। इसलिए न सिर्फ़ सत्ताधारी पार्टी के लोग बल्कि सभी दलों को इस मुद्दे पर एक सामंजस्य बैठाते हुए सही व्यक्तियों का चुनाव इस कार्य के लिए होना चाहिए।
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